domingo, 19 de março de 2017

NICE LINES



ये खत है उस गुलदान के नाम
जिसका फूल कभी हमारा था,
वो जो तुम अब उसके
मुख़्तार हो तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "
मेरी जान के हक़दार हो
तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता " 
कि वो ज़ुल्फ़ बिखेरे तो बिखरी न समझना, 😘
ग़र माथे पे आ जाये तो बेफिक्री न समझना, 😉
दरअसल उसे ऐसे ही पसंद है,
उसकी आज़ादी उसकी खुली ज़ुल्फो में बंद है 
जानते हो वो हज़ार बार ज़ुल्फें न सवारें
तो उसका गुज़ारा नहीं होता, 😌
वैसे दिल बहुत साफ़ है उसका,
इन हरकतों में उसका कोई इशारा नहीं होता 
खुदा के वास्ते उसे कभी रोक न लेना, 🙂
उसकी आज़ादी से उसे कभी टोक न देना,
अब मैं नहीं, तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "


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