ये खत है उस गुलदान के नाम
जिसका फूल कभी हमारा था,
वो जो तुम अब उसके
मुख़्तार हो तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "
❤
मेरी जान के हक़दार हो
तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "
❤
जिसका फूल कभी हमारा था,
वो जो तुम अब उसके
मुख़्तार हो तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "

मेरी जान के हक़दार हो
तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "

कि वो ज़ुल्फ़ बिखेरे तो बिखरी न समझना,
😘
ग़र माथे पे आ जाये तो बेफिक्री न समझना,
😉
दरअसल उसे ऐसे ही पसंद है,
उसकी आज़ादी उसकी खुली ज़ुल्फो में बंद है
❤

ग़र माथे पे आ जाये तो बेफिक्री न समझना,

दरअसल उसे ऐसे ही पसंद है,
उसकी आज़ादी उसकी खुली ज़ुल्फो में बंद है

जानते हो वो हज़ार बार ज़ुल्फें न सवारें
तो उसका गुज़ारा नहीं होता,
😌
वैसे दिल बहुत साफ़ है उसका,
इन हरकतों में उसका कोई इशारा नहीं होता
❤
तो उसका गुज़ारा नहीं होता,

वैसे दिल बहुत साफ़ है उसका,
इन हरकतों में उसका कोई इशारा नहीं होता

खुदा के वास्ते उसे कभी रोक न लेना,
🙂
उसकी आज़ादी से उसे कभी टोक न देना,
अब मैं नहीं, तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "

उसकी आज़ादी से उसे कभी टोक न देना,
अब मैं नहीं, तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो,
" उसे अच्छा नहीं लगता "
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