quarta-feira, 5 de setembro de 2018

HINDI

हर रोज़ चेहरे पे चेहरा
लगा के उठती हूं

बीते कल की सारी बातें
भुला के उठती हूं

बहू हूं  पत्नी हूं ,माँ हूं
बस यहीं याद रहता है

ख्वाब सारे अपने सिरहाने तले
दबा के उठती हूं

दिन भर की दौड़-धूप
और वो भी बिन पगार की

तुम बस एक " गृहणी " हो
ये तगमा लगा के उठती हूं 🌹🌹


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